सहेलियों की बाड़ी (उदयपुर)

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सहेलियों की बाड़ी' उदयपुर शहर में फतहसागर झील के किनारे है। इस बेहद सुंदर बाग को १७१० में राणा संग्राम सिंह द्वितीय ने शाही परिवार की महिलाओं के मनोरंजन हेतु ख़ास बनवाया था।महाराणा फतह सिंह ने इस बाग़ का पुनर्निर्माण कराया था। सुंदर फूलों ki क्यारियाँ, बाग़ के चार तरफ़ काले संगमरमर की मूर्तियाँ, कमल के फूलों के चार ताल, हर तालाब, में पानी का फव्वारा, हर फव्वारा संगमरमर के चार सफ़ेद हाथियों से सुसज्जित है। हर हाथी की मूर्ति को एक ही पत्थर से काट कर बनाया गया था। इन में यह ख़ास बात है इन में कोई जोड़ नहीं है।.ये फवारे बिना बरसात के मौसम के ही बरसात के मौसम जैसा अनुभव देते हैं।[बहुत ही रूमानी जगह हुआ करती होगी!!!अब भी पर्यटक यही अनुभव ले कर निकलते हैं कि जैसे परियों की भूमि से हो आए हैं! इन फव्वारों में में ऊर्जा बचाने की तकनीक का इस्तमाल हुआ है।.यह गुरुत्वाकर्षण सिद्धांत पर काम करते हैं। जब फव्वारों से 'बारिश की आवाज़ 'के साथ जैसे पानी गिरता है उसी समय सफ़ेद हाथियों की सूंड से पानी, कमल फूल की पंखुरियों पर गिरता है। और छतरी के चारों और से गिरता पानी बरसात का अनुभव देता है। इस बाग़ के बारे में 'राजपूतों का इतिहास'[करनल टोड के अनुसार] किताब में लिखा है कि यह बाग़ उदयपुर की राजकुमारी को ४८ दासियों के साथ दहेज़ में दिया गया था। इस में एक छोटा सा म्यूज़ियम भी है। ये बरसाती फ़व्वारे इंग्लॅण्ड महाराणा भोपाल सिंह जी ने लगवाए थे। Travel and Leisure Magazine, ने इसे एशिया का दूसरा सब से खूबसूरत शहर घोषित किया है। बहुत si फिल्मों की शूटिंग यहाँ हुई है। गाइड, और एकलव्य प्रमुख है। 'उदयपुर -जिसे रूमानी शहर, 'सफ़ेद शहर '/ 'बागों का शहर और 'झीलों का शहर 'भी कहा जाता है। राजस्थान में है। दिल्ली से ६७० किलोमीटर दूर है। महाराणा प्रताप (1542-1597) उदयपुर, मेवाड में शिशोदिया राजवंश के राजा थे। राजपूत सामराज्य में मेवाड़ की राजधानी, उदयपुर थी। उदयपुर कोमुग़ल छू भी नहीं पाये थे!
'सहेलियों की बाड़ी'को बनवाने वाले महाराणा संग्राम सिंह [द्वितीय ]से जुडे कुछ रोचक ऐतिहासिक तथ्य जानकारी के लिए प्रस्तुत हैं-
१-उन के पूर्वज 'महाराणा संग्राम सिंह {प्रथम}') के नाम पर उन का नाम रखा गया था। जो राणा सांगा के नाम से भी जाने जाते हैं। महाराणा संग्राम सिंह {प्रथम})(राज 1509-1527) उदयपुर में शिशोदिया राजवंश के ५० वें राजा थे। वह उन महाराणाओं में एक थे जिसका नाम मेवाड के ही नहीं, भारत के इतिहास में गौरव के साथ लिया जाता है।
२-महाराणा सांगा के चौथे बेटे महाराणा उदय सिंह के सब से बडे बेटे महाराणा प्रताप थे। इन्हीं महाराणा उदय सिंह ने ही बाज़ बहादुर को शरण दी थी।'बाज़ बहादुर 'के बारे में आप पहले के पहेली अंक में पढ़ चुके हैं।
३-महाराणा संग्राम सिंह [द्वितीय] ने मार्च २४, १६९० में २० साल की उम्र में मेवाड़ की गद्दी संभाली मगर ४४ साल की अल्पायु में [January 11, १७३४] स्वर्ग सिधार गए। उनकी सभी पत्नियाँ उनके साथ सती हो गई थीं। ५६ खम्बों का एक स्मारक उन की याद में अब भी खड़ा है।
४-इन की पत्नियों में मुख्य दो महारानियाँ थीं- एक -राजकुमारी कुंदन कुंवर[ताना से]और दूसरी जैसलमेर की राज कुमारी थीं।
5-जिस मेवाड़[शिशोदिया] राजवंश के यह ६१ वें शासक वह राजवंश दुनिया का सबसे पुराना और सबसे लंबा शासन करने वाला राजवंश माना जाता है। जो 569 AD से सन् १९४७ तक चला.
6-महाराणा अरविन्द सिंह जी [१९८४-अब तक], इसी वंशावली में ७६ वें और वर्तमान में उदयपुर के ३४ वें महाराणा हैं। जो मेवाड़ भवन की देख रेख कर रहे हैं। अधिक जानकारी हेतु, यह उनकी अधिकारिक साईट है
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ध्रुवीय निर्देशांक:   24°36'10"N   73°41'7"E
  •  7.9 कि.मी.
  •  126 कि.मी.
  •  145 कि.मी.
  •  225 कि.मी.
  •  232 कि.मी.
  •  252 कि.मी.
  •  286 कि.मी.
  •  334 कि.मी.
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  •  483 कि.मी.
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