चतुरभुज मंदिर

India / Madhya Pradesh / Khajuraho /

यह मंदिर जटकारा ग्राम से लगभग आधा किलोमीटर दक्षिण में स्थित है। यह विष्णु मंदिर निरधार प्रकार का है। इसमें अर्धमंडप, मंडप, संकीर्ण अंतराल के साथ- साथ गर्भगृह है। इस मंदिर की योजना सप्ररथ है। इस मंदिर का निर्माणकाल जवारी तथा दुलादेव मंदिर के निर्माणकाल के मध्य माना जाता है। बलुवे पत्थर से निर्मित खजुराहो का यह एकमात्र ऐसा मंदिर है, जिसमें मिथुन प्रतिमाओं का सर्वथा अभाव दिखाई देता है। सामान्य रुप से इस मंदिर की शिल्प- कला अवनति का संकेत करती है। मूर्तियों के आभूषण के रेखाकन मात्र हुआ है और इनका सूक्ष्म अंकन अपूर्ण छोड़ दिया है। यहाँ की पशु की प्रतिमाएँ एवं आकृतियाँ अपरिष्कृत तथा अरुचिकर है। अप्सराओं सहित अन्य शिल्प विधान रुढिगत हैं, जिसमें सजीवता और भावाभिव्यक्ति का अभाव माना जाता है। फिर भी, विद्याधरों का अंकन आकर्षक और मन को लुभाने वाली मुद्राओं में किया गया है। इस तरह यह मंदिर अपने शिल्प, सौंदर्य तथा शैलीगत विशेषताओं के आधार पर सबसे बाद में निर्मित दुलादेव के निकट बना माना जाता है।
आसपास के शहर:
ध्रुवीय निर्देशांक:   24°49'30"N   79°55'51"E
  •  87 कि.मी.
  •  164 कि.मी.
  •  169 कि.मी.
  •  198 कि.मी.
  •  201 कि.मी.
  •  206 कि.मी.
  •  254 कि.मी.
  •  307 कि.मी.
  •  380 कि.मी.
  •  401 कि.मी.
इस लेख को अंतिम 11 साल पहले संशोधित किया गया था