जौहर स्थल (चित्तौड़गढ़)

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जौहर पुराने समय में भारत में राजपूत स्त्रियों द्वारा की जाने वाली क्रिया थी। जब युद्ध में हार निश्चित हो जाती थी तो पुरुष मृत्युपर्यन्त युद्ध हेतु तैयार होकर वीरगति प्राप्त करने निकल जाते थे तथा स्त्रियाँ जौहर ले लेती थीं। जौहर लेने का कारण युद्ध में हार होने पर शत्रु राजा द्वारा हरण किये जाने का भय होता था।

जौहर क्रिया में राजपूत स्त्रियाँ किले को आग लगाकर उसमें स्वयं का बलिदान कर देती थी। जौहर क्रिया की सबसे अधिक घटनायें भारत पर मुगल आदि बाहरी आक्रमणकारियों के समय हुयी। ये मुस्लिम आक्रमणकारी हमला कर हराने के पश्चात स्त्रियों को लूट कर उनका शीलभंग करते थे। इसलिये स्त्रियाँ हार निश्चित होने पर जौहर ले लेती थी। इतिहास में जौहर के अनेक उदाहरण मिलते हैं।
आसपास के शहर:
ध्रुवीय निर्देशांक:   24°53'15"N   74°38'39"E
  •  60 कि.मी.
  •  104 कि.मी.
  •  123 कि.मी.
  •  176 कि.मी.
  •  182 कि.मी.
  •  252 कि.मी.
  •  259 कि.मी.
  •  316 कि.मी.
  •  318 कि.मी.
  •  382 कि.मी.
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