स्वामी अनुरागी जी
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बिलासपुर । ब्रम्हलीन स्वामी अनुरागी भक्तों ने संगीतमय माहौल में गुरु पूजन कर गुरुपूर्णिमा पर्व मनाया । प्रख्यात गायकों के भजनों ने गुरूभक्तों को आनंदित कर दिया । इस अवसर पर विशाल भण्डारे का आयोजन किया गया । जिसमें हजारों श्रद्धालुओं ने गुरु प्रसाद ग्रहण किया । कार्यक्रम में सम्मिलित होने आये विभिन्न प्रातों के शिष्यों ने गुरु के महत्व पर प्रकाश डालते हुए गुरु के सर्वत्र विद्यमान रहकर शिष्यों की रक्षा करने की बात कही। उन्होने बताया कि भजन पूजन एवं स्मरण के साथ स्वामी अनुरागी जी की वाणी को आचरण में उतारने से सफलता एवं संमृद्धि की प्राप्ति होती है। गुरू के बताए मार्ग पर चलकर ही मानव कल्याण संभव हैं। कार्यक्रम में भक्तों ने गुरु भक्ति और प्रेम का सुंदर वर्णन करते हुए श्रद्धा और विश्वास की पराकाष्ठा को अनुराग कहा ,ब्रम्हस्वरुप गुरु श्री अनुरागी इसी का पर्याय हैं ।
गुरुपूर्णिमा के पावन अवसर पर आज अनुरागी जी के शिष्यों ने बिलासपुर भारतीय नगर के अनुरागी निवास में गुरु पूजा अर्चना कर भक्तिमय माहौल में गुरुपर्व मनाया । भारतवर्ष के विभिन्न प्रांतों से आये भक्तों ने अपने गुरू के सामने माथा टेककर मंगल कामना की। परम् शिष्य नरेश कुदेशिया अनुरागी धाम कमेटी के अध्यक्ष विजय श्रीवास्तव एवं कृष्म कुमार श्रीवास्तव ,संजय श्रीवास्तव, मनोज ने स्वामी अनुरागी जी के जीवन वृतांत पर प्रकाश डालते हुए कहा कि गुरूजी बाल्यकाल से ही ईश्वर भक्ति में लीन रहते थे । सर्वसंपन्नता के बाद भी इनका मन मायामोह भरी दुनिया में नही लगा । महज ग्यारह वर्ष की अल्प आयु में ही वे ईश्वर की खोज में वन की ओर प्रस्थान कर गये । जहां कई वर्षों तप व भक्ति के उपरांत उन्हे ईश्वर से साक्षात्कार एवं परम् ज्ञान प्राप्त हुआ ।
गुरूजी का यह निर्वाण स्थल आज अनुरागी निवास के रुप में जाना जाता है । यहा पर गुरूजी के द्वारा रचित सभी ग्रंथों एवम् समानों को सहेज कर रखा गया है । स्वामी जी की समाधी स्थली शिवनाथ नदी के तट पर मोतिमपुर में स्थित है । नदी के एक ओर साक्षात भगवान शिव का विशाल स्वरूप रूद्रशिव का तीर्थ स्थल है तो दूसरी ओर ब्रम्हलीन स्वामी अनुरागी जी का समाधी ,जो आज अनुरागी धाम के नाम से विख्यात है ।
गुरुपूर्णिमा के पावन अवसर पर आज अनुरागी जी के शिष्यों ने बिलासपुर भारतीय नगर के अनुरागी निवास में गुरु पूजा अर्चना कर भक्तिमय माहौल में गुरुपर्व मनाया । भारतवर्ष के विभिन्न प्रांतों से आये भक्तों ने अपने गुरू के सामने माथा टेककर मंगल कामना की। परम् शिष्य नरेश कुदेशिया अनुरागी धाम कमेटी के अध्यक्ष विजय श्रीवास्तव एवं कृष्म कुमार श्रीवास्तव ,संजय श्रीवास्तव, मनोज ने स्वामी अनुरागी जी के जीवन वृतांत पर प्रकाश डालते हुए कहा कि गुरूजी बाल्यकाल से ही ईश्वर भक्ति में लीन रहते थे । सर्वसंपन्नता के बाद भी इनका मन मायामोह भरी दुनिया में नही लगा । महज ग्यारह वर्ष की अल्प आयु में ही वे ईश्वर की खोज में वन की ओर प्रस्थान कर गये । जहां कई वर्षों तप व भक्ति के उपरांत उन्हे ईश्वर से साक्षात्कार एवं परम् ज्ञान प्राप्त हुआ ।
गुरूजी का यह निर्वाण स्थल आज अनुरागी निवास के रुप में जाना जाता है । यहा पर गुरूजी के द्वारा रचित सभी ग्रंथों एवम् समानों को सहेज कर रखा गया है । स्वामी जी की समाधी स्थली शिवनाथ नदी के तट पर मोतिमपुर में स्थित है । नदी के एक ओर साक्षात भगवान शिव का विशाल स्वरूप रूद्रशिव का तीर्थ स्थल है तो दूसरी ओर ब्रम्हलीन स्वामी अनुरागी जी का समाधी ,जो आज अनुरागी धाम के नाम से विख्यात है ।
आसपास के शहर:
ध्रुवीय निर्देशांक: 21°52'36"N 82°1'36"E
- kabir ashram 34 कि.मी.
- Gujra Ashram Aghoreshwar Bhagawan Ram Ji 79 कि.मी.
- विवेकानन्द आश्रम 82 कि.मी.
- Asharam Jagdish Prasad 141 कि.मी.
- बाबाजी आश्रम 254 कि.मी.
- आनंदवन 360 कि.मी.
- राम कृष्ण मिशन आश्रम 483 कि.मी.
- कालीकृष्ण आश्रम 566 कि.मी.
- श्री काशी नायन आश्रमम 737 कि.मी.
- नवजीवन वृधाश्रम 960 कि.मी.
- देवरानी जेठानी मंदिर 3.4 कि.मी.
- Talab (Mokhalha) Dagori 3.7 कि.मी.
- Talab (Bamrani) Dagori 5 कि.मी.
- Talab (Tharbundia) Dagori 5.2 कि.मी.
- श्मशान घाट सरगांव 6.3 कि.मी.
- JHADOO RAM 10 कि.मी.