Natural Dam Sewari
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Natural Dam Large Resources of Water for Sewari River search by Bharat Solanki 9820085610
कुम्भलगढ़ का पानी खम्भात की खाड़ी में और मारवाड़ प्यासा
मारवाड़ की सादडी रेंज अधीनस्थ कुम्भलगढ़ वन्य जीव अभ्यारण्य की अरावली पर्वत श्रंखलाओं से निकलने वाली नदियों का पानी गुजरात की धरोई बांध से साबरमती का सफ़र करते हुए खम्भात की खाड़ी में मिल जाता हैं इधर मारवाड़ की तरफ बहने वाली नदियों का पिछले साठ सालो में राजा महाराजाओ की रियासतों के बाद नदी नालो के बीच मौजूदा प्राकृतिक झील-झरोखों की साफ सफाई करवाना उचित नहीं समजा गया जिसके कारण मारवाड़ इलाके की प्राकृतिक झीलों में मिटटी रेती और पत्थर की भरती जमा हो गई और पानी का इस्तर सेकडो मिल नीचे चला गया जिसके चलते बारिश के दिनों में जो भी थोडा बहुत पानी मारवाड़ की तरफ उतरता हैं वो सीधा मैदानी इलाको में जाकर व्यर्थ बह जाता हैं और पूरा मारवाड़ प्यासा का प्यासा रह जाता हैं ।
गूगल मेप में किये गये एक सर्वेक्षण के आधार पर मिली जानकारी के अनुसार कुम्भलगढ़ के आस पास पर्वतीय शृंखलाओ में बारिश के दिनों में एकत्रित होने वाला पानी मेवाड के रास्ते सायरा गोगुन्दा होते हुए गुजरात के धरोई बांध को पानी की भरपूर आपूर्ति करता हैं और धरोई बांध से निकलने वाली नदी आगे चल कर साबरमती नदी बन जाती हैं और आखिर में यह पानी खम्भात की खाड़ी में होते हुए समुद्र में विलीन हो जाता हैं ।
मारवाड़ के सिरियारी, फुलाद, जोजावर, कोट, बागोल, सुमेर, देसुरी, घाणेराव, सादडी, लुनावा और पिण्डवाडा आदि गाँवो की तरफ आने वाली नदियों के मुख्य स्रोत के बीच इन प्राकृतिक झीलों के निशान गूगल मेप में स्पष्ट देखे जा सकते हैं जो समुद्र तल से करीब तीन हजार फीट ऊपर स्थित कुम्भलगढ़, दीवेर, राणकपुर, सायरा और गोगुन्दा की अरावली पर्वतीय श्रंखलाओ में आसानी से देखे जा सकते हैं ।
मारवाड़ में हायवे सड़क निर्माण का कार्य सरकार शरू कर चुकी हैं जिसमे लगने वाली वाली सामग्री में रेती, मिटटी और कोंक्रिट की आपूति के लिए पंचायतो की मदद से निजी ठेकेदारों को नियुक्त कर इन नदी नालो के ऊपर स्थित झीलों में से यह सामग्री उपलब्ध कराई जा सकती हैं जिससे अरावली में पानी की संग्रहण क्षमता बढ़ेगी । पानी का अपना खुद का स्वभाव ही ऐसा हैं की वह अपना स्तर कभी नहीं छोड़ता हैं वह धरती पर हर वक्त अपने लेवल पर हमेशा मौजूद रहता हैं बशर्ते उसके मार्ग में आने वाली रूकावटो को खोला जाए और पर्वतो में मौजूद इन प्राकृतिक झीलों को खुला कर देने का मतलब अरावली में हरियाली एवं मारवाड़ का विकास ।
कुम्भलगढ़ का पानी खम्भात की खाड़ी में और मारवाड़ प्यासा
मारवाड़ की सादडी रेंज अधीनस्थ कुम्भलगढ़ वन्य जीव अभ्यारण्य की अरावली पर्वत श्रंखलाओं से निकलने वाली नदियों का पानी गुजरात की धरोई बांध से साबरमती का सफ़र करते हुए खम्भात की खाड़ी में मिल जाता हैं इधर मारवाड़ की तरफ बहने वाली नदियों का पिछले साठ सालो में राजा महाराजाओ की रियासतों के बाद नदी नालो के बीच मौजूदा प्राकृतिक झील-झरोखों की साफ सफाई करवाना उचित नहीं समजा गया जिसके कारण मारवाड़ इलाके की प्राकृतिक झीलों में मिटटी रेती और पत्थर की भरती जमा हो गई और पानी का इस्तर सेकडो मिल नीचे चला गया जिसके चलते बारिश के दिनों में जो भी थोडा बहुत पानी मारवाड़ की तरफ उतरता हैं वो सीधा मैदानी इलाको में जाकर व्यर्थ बह जाता हैं और पूरा मारवाड़ प्यासा का प्यासा रह जाता हैं ।
गूगल मेप में किये गये एक सर्वेक्षण के आधार पर मिली जानकारी के अनुसार कुम्भलगढ़ के आस पास पर्वतीय शृंखलाओ में बारिश के दिनों में एकत्रित होने वाला पानी मेवाड के रास्ते सायरा गोगुन्दा होते हुए गुजरात के धरोई बांध को पानी की भरपूर आपूर्ति करता हैं और धरोई बांध से निकलने वाली नदी आगे चल कर साबरमती नदी बन जाती हैं और आखिर में यह पानी खम्भात की खाड़ी में होते हुए समुद्र में विलीन हो जाता हैं ।
मारवाड़ के सिरियारी, फुलाद, जोजावर, कोट, बागोल, सुमेर, देसुरी, घाणेराव, सादडी, लुनावा और पिण्डवाडा आदि गाँवो की तरफ आने वाली नदियों के मुख्य स्रोत के बीच इन प्राकृतिक झीलों के निशान गूगल मेप में स्पष्ट देखे जा सकते हैं जो समुद्र तल से करीब तीन हजार फीट ऊपर स्थित कुम्भलगढ़, दीवेर, राणकपुर, सायरा और गोगुन्दा की अरावली पर्वतीय श्रंखलाओ में आसानी से देखे जा सकते हैं ।
मारवाड़ में हायवे सड़क निर्माण का कार्य सरकार शरू कर चुकी हैं जिसमे लगने वाली वाली सामग्री में रेती, मिटटी और कोंक्रिट की आपूति के लिए पंचायतो की मदद से निजी ठेकेदारों को नियुक्त कर इन नदी नालो के ऊपर स्थित झीलों में से यह सामग्री उपलब्ध कराई जा सकती हैं जिससे अरावली में पानी की संग्रहण क्षमता बढ़ेगी । पानी का अपना खुद का स्वभाव ही ऐसा हैं की वह अपना स्तर कभी नहीं छोड़ता हैं वह धरती पर हर वक्त अपने लेवल पर हमेशा मौजूद रहता हैं बशर्ते उसके मार्ग में आने वाली रूकावटो को खोला जाए और पर्वतो में मौजूद इन प्राकृतिक झीलों को खुला कर देने का मतलब अरावली में हरियाली एवं मारवाड़ का विकास ।
Nearby cities:
Coordinates: 25°3'17"N 73°23'25"E
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- Rajsamand Lake 49 km
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- Vallabhnagar Reservoir lake 72 km
- Hemawas Dam 79 km
- Chak Bhoopalsagar Lake 81 km
- jogdawas dam (MUNESH CHOUDHARY) 81 km
- Ghosunda Dam 113 km
- agricultural land of village Magha for LIS scheme by VIKALP FOUNDATION 4.2 km
- Natural Dam Latara 5 km
- MAGA LIS PROJECT II BY VIKALP FOUNDATION 5 km
- Bhanpura 8.3 km
- DIYAN < BY PRAKASH PRAJAPAT> 8.4 km
- Ram Singh S/o Nawal Singh Rajpurohit Shivtalav 10 km
- Naval Baag, Thakur Naval Singh Champawat, Malari 10 km
- Ranakpur Jain Temple Premises 11 km
- DOLI - RAJPUROHIT FARM HOUSE 11 km
- Punadiya 14 km
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Punadiya