Natural Dam
India /
Rajasthan /
Udaipur /
World
/ India
/ Rajasthan
/ Udaipur
World / India / Rajasthan / Udaipur
lake
Add category
![](https://wikimapia.org/img/wm-team-userpic.png)
Natural Dam Large Resources of Water for Marwad and Mewad River search by Bharat Solanki 9820085610
कुम्भलगढ़ का पानी खम्भात की खाड़ी में और मारवाड़ प्यासा....
मारवाड़ की सादडी रेंज अधीनस्थ कुम्भलगढ़ वन्य जीव अभ्यारण्य की अरावली पर्वत श्रंखलाओं से निकलने वाली नदियों का पानी गुजरात की धरोई बांध से साबरमती का सफ़र करते हुए खम्भात की खाड़ी में मिल जाता हैं इधर मारवाड़ की तरफ बहने वाली नदियों का पिछले साठ सालो में राजा महाराजाओ की रियासतों के बाद नदी नालो के बीच मौजूदा प्राकृतिक झील-झरोखों की साफ सफाई करवाना उचित नहीं समजा गया जिसके कारण मारवाड़ इलाके की प्राकृतिक झीलों में मिटटी रेती और पत्थर की भरती जमा हो गई और पानी का इस्तर सेकडो मिल नीचे चला गया जिसके चलते बारिश के दिनों में जो भी थोडा बहुत पानी मारवाड़ की तरफ उतरता हैं वो सीधा मैदानी इलाको में जाकर व्यर्थ बह जाता हैं और पूरा मारवाड़ प्यासा का प्यासा रह जाता हैं ।
गूगल मेप में किये गये एक सर्वेक्षण के आधार पर मिली जानकारी के अनुसार कुम्भलगढ़ के आस पास पर्वतीय शृंखलाओ में बारिश के दिनों में एकत्रित होने वाला पानी मेवाड के रास्ते सायरा गोगुन्दा होते हुए गुजरात के धरोई बांध को पानी की भरपूर आपूर्ति करता हैं और धरोई बांध से निकलने वाली नदी आगे चल कर साबरमती नदी बन जाती हैं और आखिर में यह पानी खम्भात की खाड़ी में होते हुए समुद्र में विलीन हो जाता हैं ।
मारवाड़ के सिरियारी, फुलाद, जोजावर, कोट, बागोल, सुमेर, देसुरी, घाणेराव, सादडी, लुनावा और पिण्डवाडा आदि गाँवो की तरफ आने वाली नदियों के मुख्य स्रोत के बीच इन प्राकृतिक झीलों के निशान गूगल मेप में स्पष्ट देखे जा सकते हैं जो समुद्र तल से करीब तीन हजार फीट ऊपर स्थित कुम्भलगढ़, दीवेर, राणकपुर, सायरा और गोगुन्दा की अरावली पर्वतीय श्रंखलाओ में आसानी से देखे जा सकते हैं ।
मारवाड़ में हायवे सड़क निर्माण का कार्य सरकार शरू कर चुकी हैं जिसमे लगने वाली वाली सामग्री में रेती, मिटटी और कोंक्रिट की आपूति के लिए पंचायतो की मदद से निजी ठेकेदारों को नियुक्त कर इन नदी नालो के ऊपर स्थित झीलों में से यह सामग्री उपलब्ध कराई जा सकती हैं जिससे अरावली में पानी की संग्रहण क्षमता बढ़ेगी । पानी का अपना खुद का स्वभाव ही ऐसा हैं की वह अपना स्तर कभी नहीं छोड़ता हैं वह धरती पर हर वक्त अपने लेवल पर हमेशा मौजूद रहता हैं बशर्ते उसके मार्ग में आने वाली रूकावटो को खोला जाए और पर्वतो में मौजूद इन प्राकृतिक झीलों को खुला कर देने का मतलब अरावली में हरियाली एवं मारवाड़ का विकास ।
कुम्भलगढ़ का पानी खम्भात की खाड़ी में और मारवाड़ प्यासा....
मारवाड़ की सादडी रेंज अधीनस्थ कुम्भलगढ़ वन्य जीव अभ्यारण्य की अरावली पर्वत श्रंखलाओं से निकलने वाली नदियों का पानी गुजरात की धरोई बांध से साबरमती का सफ़र करते हुए खम्भात की खाड़ी में मिल जाता हैं इधर मारवाड़ की तरफ बहने वाली नदियों का पिछले साठ सालो में राजा महाराजाओ की रियासतों के बाद नदी नालो के बीच मौजूदा प्राकृतिक झील-झरोखों की साफ सफाई करवाना उचित नहीं समजा गया जिसके कारण मारवाड़ इलाके की प्राकृतिक झीलों में मिटटी रेती और पत्थर की भरती जमा हो गई और पानी का इस्तर सेकडो मिल नीचे चला गया जिसके चलते बारिश के दिनों में जो भी थोडा बहुत पानी मारवाड़ की तरफ उतरता हैं वो सीधा मैदानी इलाको में जाकर व्यर्थ बह जाता हैं और पूरा मारवाड़ प्यासा का प्यासा रह जाता हैं ।
गूगल मेप में किये गये एक सर्वेक्षण के आधार पर मिली जानकारी के अनुसार कुम्भलगढ़ के आस पास पर्वतीय शृंखलाओ में बारिश के दिनों में एकत्रित होने वाला पानी मेवाड के रास्ते सायरा गोगुन्दा होते हुए गुजरात के धरोई बांध को पानी की भरपूर आपूर्ति करता हैं और धरोई बांध से निकलने वाली नदी आगे चल कर साबरमती नदी बन जाती हैं और आखिर में यह पानी खम्भात की खाड़ी में होते हुए समुद्र में विलीन हो जाता हैं ।
मारवाड़ के सिरियारी, फुलाद, जोजावर, कोट, बागोल, सुमेर, देसुरी, घाणेराव, सादडी, लुनावा और पिण्डवाडा आदि गाँवो की तरफ आने वाली नदियों के मुख्य स्रोत के बीच इन प्राकृतिक झीलों के निशान गूगल मेप में स्पष्ट देखे जा सकते हैं जो समुद्र तल से करीब तीन हजार फीट ऊपर स्थित कुम्भलगढ़, दीवेर, राणकपुर, सायरा और गोगुन्दा की अरावली पर्वतीय श्रंखलाओ में आसानी से देखे जा सकते हैं ।
मारवाड़ में हायवे सड़क निर्माण का कार्य सरकार शरू कर चुकी हैं जिसमे लगने वाली वाली सामग्री में रेती, मिटटी और कोंक्रिट की आपूति के लिए पंचायतो की मदद से निजी ठेकेदारों को नियुक्त कर इन नदी नालो के ऊपर स्थित झीलों में से यह सामग्री उपलब्ध कराई जा सकती हैं जिससे अरावली में पानी की संग्रहण क्षमता बढ़ेगी । पानी का अपना खुद का स्वभाव ही ऐसा हैं की वह अपना स्तर कभी नहीं छोड़ता हैं वह धरती पर हर वक्त अपने लेवल पर हमेशा मौजूद रहता हैं बशर्ते उसके मार्ग में आने वाली रूकावटो को खोला जाए और पर्वतो में मौजूद इन प्राकृतिक झीलों को खुला कर देने का मतलब अरावली में हरियाली एवं मारवाड़ का विकास ।
Nearby cities:
Coordinates: 24°30'26"N 73°20'53"E
- Som Kagdar Dam 54 km
- Jaisamand Lake 63 km
- Som Kamla Dam 80 km
- Meswo Dam 86 km
- Mazam Water Resources Dam 111 km
- Jarany Reservoir Lake 119 km
- Mahi River 127 km
- Vatrak Dam 129 km
- Kadana Reservoir Lake 130 km
- Mahi 131 km
- Baghpura Jhadol (P) 2.1 km
- Baghpura 2.1 km
- Gejvi Village 8.4 km
- talab of mohmmd phalasiya 10 km
- THIKANA-MALPUR 11 km
- Sembaliya Poshina 13 km
- Nayagav Khakhad 15 km
- Aravalli Mountain Range 18 km
- Kolyari 19 km
- kamalnath mahadev 22 km
Comments