राजा अमरसिंह राठौर स्मारक, अमरपुरा (अमरपुरा)

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 स्मारक (मेमोरियल), घुड़सवार की मू्र्ति

तहसील जैतारण​​​​, जिला पाली, राजस्थान​

अमर सिंह राठौड़ की वीरता सर्वविदित है ये जोधपुर के महाराजा गज सिंह के ज्येष्ठ पुत्र थे जिनका जन्म रानी मनसुख दे की कोख से वि.स.१६७० , १२ दिसम्बर १६१६ को हुआ था | अमर सिंह बचपन से ही बड़े उद्दंड,चंचल,उग्रस्वभाव व अभिमानी थे जिस कारण महाराजा ने इन्हें देश निकाला की आज्ञा दे जोधपुर राज्य के उत्तराधिकार से वंचित कर दिया था| उनकी शिक्षा राजसी वातावरण में होने के फलस्वरूप उनमे उच्चस्तरीय खानदान के सारे गुण विद्यमान थे और उनकी वीरता की कीर्ति चारों और फ़ैल चुकी थी | १९ वर्ष की आयु में ही वे राजस्थान के कई राजा-महाराजाओं की पुत्रियों के साथ विवाह बंधन में बाँध चुके थे |

लाहौर में रहते हुए उनके पिता महाराजा गज सिंह जी ने अमर सिंह को शाही सेना में प्रविष्ट होने के लिए अपने पास बुला लिया अतः वे अपने वीर साथियों के साथ सेना सुसज्जित कर लाहोर पहुंचे | बादशाह शाहजहाँ ने अमर सिंह को ढाई हजारी जात व डेढ़ हजार सवार का मनसब प्रदान किया | अमर सिंह ने शाजहाँ के खिलाफ कई उपद्रवों का सफलता पूर्वक दमन कर कई युधों के अलावा कंधार के सैनिक अभियान में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई | बादशाह शाहजहाँ अमर सिंह की वीरता से बेहद प्रभावित था |

६ मई १६३८ को अमर सिंह के पिता महाराजा गज सिंह का निधन हो गया उनकी इच्छानुसार उनके छोटे पुत्र जसवंत सिंह को को जोधपुर राज्य की गद्दी पर बैठाया गया | वहीं अमर सिंह को शाहजहाँ ने राव का खिताब देकर नागौर परगने का राज्य प्रदान किया |

हाथी की चराई पर बादशाह की और से कर लगता था जो अमर सिंह ने देने से साफ मना कर दिया था | सलावतखां द्वारा जब इसका तकाजा किया गया और इसी सिलसिले में सलावतखां ने अमर सिंह को कुछ उपशब्द बोलने पर स्वाभिमानी अमर सिंह ने बादशाह शाहजहाँ के सामने ही सलावतखां का वध कर दिया

घटनाक्रम पर एक कवित्त है।

देखकरशाहजहां बादशाह भरता हांकारे,
कहा सलाबत खां नूं : "करो काम हमारे.
आगे औना ना दो, राजपूत राखो अटकारे."
सलाबत खां यूं बख्शी दीदा फ़ाड़े,
"अदब मान के खड़ा रहो, राजपूत बिचारे !
तेरी बात डिगी दरबार में, मैं खड़ा सीधा रे."
"मेरी तू क्या बात संवारदा, करतार संवारे !"
अमर सिंह डिगाइया, ना डिगे, जैसा पर्बत भारी.
"हटके खड़ा गंवारियार ! क्या करे गंवारी.?

जब्बल काढ़ी मिसरी निकाली दोधारी :
मरे सलाबत खां दी जा खिल्ली पाड़ी :
लगी मर्द दे हाथ दी ना रहे वो धारी.
"यह ले अपने सात लाख, सलाबत प्यारे !
काँटे धर के जाँच ले, होर घात हमारे!"
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ध्रुवीय निर्देशांक:   26°22'10"N   74°7'3"E
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