ANUPGARH FORT (अनूपगढ़)
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अनूपगढ़
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जगत / भारत / राजस्थान / श्रीगंगानगर
किला
श्रेणी/वर्ग जोडियें
चुघेर अनूपगढ़ और उसके आस पास का क्षेत्रों पर भाटियों का कब्जा था। बीकानेर से पश्चिमोत्तर का सारा प्रदेश जो जैसलमेर की सीमा से लेकर पंजाब की सीमा तक फैला था। यह भाटी जाति यदुवंशी क्षत्रियों की एक वंशावली थी। भटड भूमि में यादवों के बस जाने से ये भाटी नाम से प्रसिद्ध हो गये। राव राम सिंह ने पूनिया में जोहियों को पराजित करने के बाद पूनिया व इसके आसपास के भाटियों पर अधिक नियंत्रण रखने क ेलिये दलपत सिंह ने चुघेर में एक गढ़ बनाना प्रारम्भ किया। भाटियों के विरोध को कारण यह कार्य पूरा नहीं हो सका। 1612 में भाटियों ने थाना भी उठवा दिया। सन 1677 78 में मुगल शासक औरंगजेब ने महाराजा अनूप सिंह को औरंगाबाद का शासक नियुक्त किया। उन दिनों अनूप सिंह आदूणी में थे। उनके पास खरबारा और रायमवाली में भाटियों के विद्रोही हो जाने का समाचार पहुंचा। महाराजा अनूप सिंह ने उसी समय मुकंदराय को बुलाकर इस विषय में सलाह की और चुघेर मे गढ़ बनवाकर वहां थाना स्थापित करने का निश्चय कर उसे अपने विश्वस्त आदमियों को नाम पत्र देकर बीकानेर भोजा। मुकंद ने बीकानेर पहुंचकर सेना एकत्र की और खड़गसैन के पुत्र अमर सिंह के साथ भाटियों पर प्रस्थान किया। खरबारा, रायमलवाली तथा राशीर के ठाकुरों ने चुघेर के गढ़ में जमा होकर बीकानेर की फौज का सामना करने का प्रबंध किया। देा माह के घेरे के बाद जब गढ़ में रसद की कमी हुई, तो भाटियों ने सरदार जगरूप सिंह व बिहारीदास ने लखबेरा के जोहियों से रसद व अन्य युद्ध सामग्री भिजवाने के लिए कहलाया। इस पर जोहिये रसद, बारूद लेकर चुघेी की ओर अग्रसर हुए। बीकानेर की सेना ने उनके निकट आने का समाचार सुनाओ, तो मुकंदराय, अमर सिंह तथा भागचंद ने उन पर आक्रमण कर दिया। उधर गढ़ से भाटी भी रसद लेने के ठीक समय पर पहुंच गये और यह कार्य नहीं हो सका। उनमें से बहुत से मारे गये। कुछ दिन बाद अन्न के अभाव में भाटी बहुत पीडि़त हुए, तो मुकंदराय के पास संधि प्रस्ताव भेजा। उनकी तरफ से जगरूप सिंह व बिहारीदास के पास पत्र भेजकर उन्हें अवगत करवाया कि मुकंदराय की इच्छा है कि भाटियों से संधि करने की बजाय उन्हें मेार देने में ही भलाई है। ऐसा अवसर देख मुकंदराय और अमर सिंह अपनी बात से बदल गये। उन्होंने आधी रात के समय भटियों पर आक्रमण कर दिया। इसमें जगरूप सिंह व बिहारीदास सहित सब मारे गये और गढ1 पर अनूप सिंह की सेना का अधिकार हो गया। सन 1678 विक्रम संवत 1735 में चुघेर में महाराज अनूप सिंह ने नये गढ़ का निर्माण किया, जिसका नाम अनूपगढ़ रखा गया। हरि मांकड
आसपास के शहर:
ध्रुवीय निर्देशांक: 29°11'22"N 73°12'35"E
- गढ़ी हरसरू 371 कि.मी.
- लाल कोट 394 कि.मी.
- क़िला राय पिथौरा 395 कि.मी.
- क़िला राय पिथौरा प्राचीर ध्वंसावशेष 396 कि.मी.
- लाल किला , दिल्ली 397 कि.मी.
- पुराना क़िला 398 कि.मी.
- फतेहपुर सीकरी 493 कि.मी.
- किला विजयगढ़ 517 कि.मी.
- लाल किला आगरा 522 कि.मी.
- अवागढ़ किला 552 कि.मी.
- mahavir navin omvishnu vishnoi anupgarh 2 कि.मी.
- bavrio ki dhani 3.3 कि.मी.
- godara farm house 9p 11 कि.मी.
- tulchharam gader home 11 कि.मी.
- kashri ram gader home 11 कि.मी.
- मोहन लाल गोदारा 35एमओडी का खेत 19 कि.मी.